बेंगलूरु, (परिवर्तन)।
क्यों खत्म हो रहा है कोरोना का डर





कोरोना वारयस महामारी अब तक खत्म नहीं हुई है, लेकिन देश और दुनिया की ताजा हालातों को देखते हुए ऐसा लग रहा है मानो इसका डर लोगों के मन से खत्म हो गया है। एक के बाद एक कई त्योहार बीत गए और इस बीच लोग सतर्कता भूल रहे हैं। इन्हीं लापरवाही की वजह से हम आज विश्व भर में कोरोना के बढ़ते मामलों में दूसरे नंबर पर आकर खड़े हैं। देश में कोरोना के मामलों के रोकथाम के लिए जो भी कानून बनाए जा रहे हैं, वो केवल कागजों तक सीमट कर रह गए हैं। कोरोना वायरस महामारी का भीषण प्रकोप पूरे देश में तेजी से फैलता देखा जा रहा है। सरकार और जनता, दोनों ही स्तरों पर घोर लापरवाही के कारण ही आज देश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। कई राज्यों की हालत पुख्ता है, अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ रहे हैं, मौतें अधिक होने के कारण मृतकों का अंतिम संस्कार रातों - रात कर दिया जा रहा है। पूरे भारत में अब तक कोरोना वायरस महामारी से लगभग 1 लाख 30 हजार से ज्यादा लोग जान गवां चुके हैं।
कुछ लोग न केवल कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि वे अफवाहों का बाजार भी गर्म कर रहे हैं कि कोरोना जैसा कोई वायरस नहीं है। अगर कुछ है भी तो वह साधारण बीमारी है। यही कारण है कि बहुत सारे लोग कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि देश में पिछले महज 20 दिनों में संक्रमितों और मृतकों का आंकड़ा बहुत तेजी से बढ़ा है। केवल बाजारें खुलने और त्योहारों की बात हम नहीं करेंगे, क्योंकि बिहार चुनाव के दौरान भी कोरोना संक्रमण को लेकर लापरवाही बरती गई। लोगों की कतारों को देखना भयावह था।
कहीं न कहीं सरकार यह कहकर अपनी लापरवाही पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है कि संक्रमितों की संख्या इसलिए बढ़ रही है क्योंकि पहले से ज्यादा टेस्टिंग हो रही है। अगर इस बात को मान भी लिया जाए तो सवाल यह है कि यह टेस्टिंग पहले ही ज्यादा क्यों नहीं की गई? देश भर में मास्क न पहनने पर चालान राशि को बढ़ाया क्यों नहीं गया? केवल इतना ही नहीं, ऐसे कई सवाल हैं जो सरकार और जनता की लापरवाही को ओर स्पष्ट इशारा करते हैं। हालांकि यह भी सत्य है कि दिल्ली के अलावा पश्चिम बंगाल, राजस्थान और केरल राज्यों में भी संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इन राज्यों में भी मास्क लगाने में लापरवाही और दो गज की दूरी का पालन करने में कहीं न कहीं लापरवाही हो रही है।
अनलॉक के विभिन्न चरणों में छूट मिलने के बाद लोगों को ऐसा आभास होने लगा कि अब कोरोना खत्म हो गया है और अब गाइडलाइन्स का भी पालन करने की आवश्यकता नहीं है। यही नहीं, दशहरा और दीवाली के दौरान बाजारों में उमड़ी भीड़ ने कोविड की स्थिति को भयावह बना दिया। चूंकि लोगों ने मास्क का ठीक तरीके से प्रयोग नहीं किया और दो गज की दूरी का पालन नहीं किया। आज बाजारों में भीड़भाड़ बढ़ चुकी है। सिटी बसों, ऑटो और मेट्रो में भीड़ उमड़ रही है। सार्वजनिक स्थानों और आयोजनों के दौरान लोगों को देख कर ऐसा लगता है जैसे कोरोना खत्म हो चुका है। इसलिए स्थिति बदतर होती रही। अब देखना यह है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार क्या रूख अख्तियार करती है। क्या देश में कोरोना की तीसरी लहर को रोकने में सरकार अपना दायित्व निभाएगी।